Medical Education in Iran: ईरान-इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष को लेकर भले ही सीजफायर की घोषणा हो चुकी हो। लेकिन इस युद्व ने दुनिया भर में टेंशन बड़ा दी थी। वहीं भारत भी इसे लेकर बड़ी परेशानी में फंसा हुआ था। वजह थी वहां पर पढ़ रहे मेडिकल के भारतीय छात्र और नागरिक। जिन्हें निकालने के लिए सरकार ने पूरी कोशिश की। लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर क्यों ईरान जाकर भारतीय छात्र MBBS की पढ़ाई करना पसंद करते हैं?

Medical Education in Iran: ईरान-इज़राइल युद्ध और भारत सरकार द्वारा अपने नागरिकों, खास तौर पर ऑपरेशन सिंधु(Operation Sindhu) के तहत छात्रों को निकाले जाने से एक बार फिर यह सवाल उठा है। इतने सारे भारतीय छात्र विदेश में MBBS की पढ़ाई क्यों करना पसंद करते हैं? वहीं विदेश मंत्रालय के अनुमान के अनुसार, एक रिपोर्ट में कहा गया है कि, अकेले ईरान में लगभग 2,050 भारतीय छात्र MBBS की पढ़ाई कर रहे हैं, जिनमें से एक बड़ी संख्या कश्मीर से है और दसियों हज़ार छात्र अन्य देशों में हैं।
कई कश्मीरी छात्र ईरान क्यों चुनते हैं?
ईरान में भारतीय छात्रों का एक बड़ा हिस्सा कश्मीर से आता है। यह क्षेत्र ईरान के साथ गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध साझा करता है। कश्मीर और ईरान के बीच ऐतिहासिक और धार्मिक संबंधों पर प्रकाश डाला जाए तो, जहां शिया इस्लाम की मजबूत उपस्थिति है। तेहरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज और शाहिद बेहेश्टी यूनिवर्सिटी जैसे ईरानी विश्वविद्यालय अक्सर कश्मीरी छात्रों के लिए किफायती विकल्प और यहां तक कि आरक्षित कोटा भी प्रदान करते हैं, जिसे “पारगीस कोटा” के रूप में जाना जाता है।
विदेश में पढ़ाई की चुनौतियां और जोखिम
विदेश में मेडिकल की पढ़ाई सस्ती और कम कॉम्पिटिशन हो सकती है, लेकिन विशेषज्ञ कई नुकसानों की चेतावनी देते हैं। कहा जाता है कि, “कुछ विदेशी विश्वविद्यालय ऐसे चिकित्सा कार्यक्रम प्रदान करते हैं जो स्थानीय लाइसेंसिंग आवश्यकताओं से मेल नहीं खाते।” “छात्रों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे स्नातक होने के बाद मेजबान देश में अभ्यास कर सकें।”
ईरान में MBBS क्यों करने जाते हैं भारतीय छात्र?
Competition: भारत में अगर मेडिकल की पढ़ाई की बात की जाए तो किसी भी कॉलेज में एडमिशन के लिए NEET की अनिवार्यता जरूरी है। भारत में तकरीबन 1 लाख के करीब मेडिकल सिटे हैं जबकि हर साल 20 लाख से अधिक छात्र-छात्राएं यह एडमिशन के लिए NEET का एग्जाम देते हैं। जिस वजह से हर किसी को दाखिला मिलना संभव नहीं है। यह भी एक वजह है कि छात्रों को विदेश का रुख करना पड़ता है
Affordable education: अगर भारत में प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों से MBBS करने के बारे में सोचा भी जाए तो तकरीबन 50 लाख से 1 करोड रुपए तक खर्च करने हो सकते हैं। वहीं इसके उलट में ईरान में पूरे MBBS कोर्स की फीस 15 लाख से 25 लाख के बीच है। इसके साथ ही वहां रहने का खर्चा 10 हजार से 12 हजार तक आता है, जिस वजह से सस्ती पढ़ाई के कारण भी भारतीय छात्र ईरान की ओर आकर्षित होते हैं।
Admission Process: बता दें कि ईरान में मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए NEET के आधार पर चयन किया जाता है। जिस वजह से वहां पर छात्राओं को कई तरह के एक्स्ट्रा एग्जाम नहीं देने पड़ते। इतना ही नहीं बल्कि यहां की एडमिशन प्रक्रिया भी बेहद आसान है, जिस वजह से भारतीयों को यहां पर आसानी से मेडिकल की पढ़ाई के लिए दाखिला मिल जाता है।
Global Tag: वहीं विदेश में पढ़ने जा रहे भारतीय छात्रों को इंटरनेशनल एक्सपोजर भी मिलता है। जहां पर यहां से गए कई छात्र-छात्राएं कई अन्य देशों के स्टूडेंट के साथ अपने मेडिकल की पढ़ाई करते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं उन्हें क्लीनिकल एक्स्पोज़र भी जल्द मिलता है।
ईरान की यूनिवर्सिटी, जहां पढ़ते हैं भारतीय छात्र
- शाहिद बेहेश्टी यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज
- तेहरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज
- इस्लामिक आजाद यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज
- ईरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज
- हमादान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज
- गोलेस्तान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज
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